Not known Factual Statements About Shodashi

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

Her 3rd eye represents better perception, helping devotees see past Bodily appearances on the essence of truth. As Tripura Sundari, she embodies appreciate, compassion, and also the joy of existence, encouraging devotees to embrace lifetime check here with open hearts and minds.

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां

देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

देव्यास्त्वखण्डरूपायाः स्तवनं तव तद्यतः ॥१३॥

The essence of those events lies inside the unity and shared devotion they encourage, transcending personal worship to make a collective spiritual environment.

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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